इश्क की इस जंग में,क्या सही और क्या गलत
जो नज़र मिल जाये तो,सब सही,वरना सब गलत
पूछता था मुझसे कोई तआरुफ़ मेरे यार का
उसे कातिल कहूं तो हैरां हैं सब,मसीहा कहूं तो भी गलत
झूठ बोलने की आदत उसकी,जो ना गई तो ना गई
अब उसे छोड़ दूं,तो भी गलत,साथ दूं तो भी गलत
अब इस मुश्किल घड़ी में मेरा साथ देना ऐ ख़ुदा
फैसला में जो भी लूं,कुछ हो जाये न उसमें गलत.
जो नज़र मिल जाये तो,सब सही,वरना सब गलत
पूछता था मुझसे कोई तआरुफ़ मेरे यार का
उसे कातिल कहूं तो हैरां हैं सब,मसीहा कहूं तो भी गलत
झूठ बोलने की आदत उसकी,जो ना गई तो ना गई
अब उसे छोड़ दूं,तो भी गलत,साथ दूं तो भी गलत
अब इस मुश्किल घड़ी में मेरा साथ देना ऐ ख़ुदा
फैसला में जो भी लूं,कुछ हो जाये न उसमें गलत.