Thursday, December 29, 2011

गुज़ारिश

ये शिकायत नहीं गुज़ारिश है,कि
या तो थाम लो मुझे,या छोड़ दो मुझे
पर
बार-बार अपने दायरों का वास्ता देकर
यूं पल-पल तोड़ो न मुझे
मैं समझती हूँ दुनिया के रिवाज़ों को
सारी रस्मों को,एतराजों को
लेकिन,
अपने प्रेम पर हमनें कायदे कहा लगाये थे
दुनियादारी के पहरे कहाँ बिठाये थे
तो इसका वास्ता देकर यूं पल -पल तोड़ो न मुझे
या तो थाम लो मुझे,या छोड़ दो मुझे
मैंने कब कहा तुम दुनिया की परवाह ना करो
ना ये कहा कि तुम अपनों की चाह ना करो
पर,तिनके सा ही सही,कुछ तो हक मेरा भी है
मैं जो सब कुछ गवाएँ बैठी हूँ
अपनी दुनिया दाँव पर लगाये बैठी हूँ
तो अब किसका वास्ता देकर तोड़ते हो मुझे
यूं बार -बार थाम कर छोड़ते हो मुझे
मेरी ख़ामोशी में भी उसे अपना जवाब मिल गया
मेरी हंसी में उसे मेरे दर्द का अंदाज़ मिल गया

Saturday, December 17, 2011

ना मेरे बस का था

प्रेम की परिभाषा समझ पाना
ना तेरे बस का था,ना मेरे
मिलने की तड़प से बच पाना
ना तेरे बस का था,ना मेरे
हम -तुम दोनों चुप थे कुछ सवालों पर,क्योंकि
उन जवाबों से लड़ पाना
ना तेरे बस का था,ना मेरे
इस पाकीज़ा से रिश्ते में,क्या तेरा और क्या मेरा
एहसासों का हिसाब रख पाना
ना तेरे बस का था,न मेरे
मुझमें नापता था प्यार की गहराई,जाने क्यों
वो जानता था इसे पाना
ना उसके बस का था ना मेरे

Monday, December 12, 2011

वो कौन है ?

वो मेरे साथ था ,पर मेरा तो नहीं था
अपना सा था मगर अपना तो नहीं था
उस  पर मुहर थी,किसी के नाम की
जैसे सही ख़त,ग़लत पते पे था
मैं ढूँढता रहा दर-ब-दर जिसे
वो सुकून,मेरे दिल में ,मेरे घर में था
देखा है उसके चेहरे पर भी,कुछ खोने का डर मैनें
कैसे कहूं कि वो मुझसे जुड़ा ना था

Sunday, December 11, 2011

क्या सही और गलत

इश्क की इस जंग में,क्या सही और क्या गलत
जो नज़र मिल जाये तो,सब सही,वरना सब गलत
पूछता था मुझसे कोई तआरुफ़ मेरे यार का
उसे कातिल कहूं तो हैरां हैं सब,मसीहा कहूं तो भी गलत
झूठ बोलने की आदत उसकी,जो ना गई तो ना गई
अब उसे छोड़ दूं,तो भी गलत,साथ दूं तो भी गलत
अब इस मुश्किल घड़ी में मेरा साथ देना ऐ ख़ुदा
फैसला में जो भी लूं,कुछ हो जाये न उसमें गलत.

Friday, December 9, 2011

मेरी नींद रूठ गयी है

मत पूछिए क्यों मेरी नींद रूठ गयी है
मेरी दुनिया में तेरी कोई चीज़  छूट गयी है
मेरे  आईने में अब अक्स तेरा है,बस तेरा 
मेरे चेहरे पर तेरी नज़र छूट गई है
सिरहन सी उठ रही है मेरी रूह तक में
मेरे हाथों पर तेरी छुअन छूट गयी है
तेरे लहज़े का ताब पिघला रहा था मुझे
मेरे जहन में तेरी अगन छूट गयी है
दिन गुज़रते रहे हैं,गुज़रते रहेंगे
मेरी ज़िन्दगी में तेरी लगन छूट गयी है
मत पूछिए क्यों मेरी नींद रूठ गयी है
मेरी दुनिया में तेरी कोई चीज़ छूट गयी है

तू ही बता

उसने कभी मुझे कोई हक़ नहीं दिया
मैं कैसे रोक लेता उसे ,अब तू ही बता
चाहत का कोई तोल-मोल कहाँ है
वो कितना मेरा है मैं कैसे दूं बता
दुनिया समझ रही है मैं उसका राजदार हूँ
... मैं दुश्मनों में भी नहीं, ये इनको क्या पता
मर जाऊंगा एक दिन मैं यूं ही मेरे यार
गर दुनिया पूछती रही,मुझसे उसका पता
मैं जानता हूँ लुट रहा हूँ उम्रभर के लिए
इस लुटने में क्या मज़ा है ये उसको क्या पता.

Thursday, December 8, 2011

मैं ढूँढता फिरता था जिसे दुनिया में
आज मालूम हुआ वो ज़हन में रहता है,
बहुत डरता है दुनिया से कहीं कोई देख न ले
खामोश  आँखों से वो हर बात कहता है.

Tuesday, December 6, 2011

तेरे इंतजार में भी एक सुकून पाया

तेरे  इश्क ने हमें कुछ इस तरह बनाया
तेरे  इंतजार  में भी एक सुकून पाया
तू निगाहों से जाने क्या पूछ रहा था
शायद दिल ही दिल में खुद से जूझ रहा था
खामोश सवाल का ,चुप सा  जवाब आया
तेरे इंतजार में भी एक सुकून पाया
प्यार में जूनून  लाज़मी सा है ,पर
पाने खोने का ख्याल बड़ा मतलबी सा है
अपने जुनूने इश्क को इस तरह समझाया
तेरे इंतजार में भी एक सुकून पाया .

तेरी जिद के आगे

हर बार झुक गया हूँ मैं तेरी जिद के आगे
हर बार मिट गया हूँ मैं तेरी जिद के आगे
थाम कर छोड़ना ,छोड़ कर थामना
ये तेरा शौक है ,ये तेरा गुरुर है
मैं मुफ्त में मरा हूँ ,मैं मुफ्त में लुटा हूँ
तेरी अना के आगे ,
तेरे शौक -ए-जूनून के आगे .

Sunday, December 4, 2011

वो मुझे आइना दिखा रहा था

ना पूछिए वो क्या किस्सा सुना रहा था
मुझे सामने बिठा कर आइना दिखा रहा था
पूछता भी कैसे ,मैं अपना हूँ या पराया
जब सारे जहाँ को वो अपना बता रहा था
वो चल दिया कुछ ऐसे जैसे मैं ,मैं नहीं हूँ
... अब समझ में आया वो मुझे हद दिखा रहा था
यूं छोड़ दूं तुझे मैं ऐसा संगदिल कहाँ हूँ
मैं जानता हूँ तू क्या छुपा रहा था
मेरी जान तुझको ,इतनी खबर नहीं है
तू आइने को ही आइना दिखा रहा था

Thursday, December 1, 2011

रिश्ते

अच्छे अच्छों को आज़माया है
तब ये नतीजा निकल के आया है
रिश्ते ,ज़ज्बात सब बेमानी हैं
सबको खोखला ही पाया है
आप खुद पर न लीजिये हुज़ूर
हमने एक अरसा यहाँ बिताया है
रिश्तों को पानी बनते देखा है
और, दुनिया ने उसमें ज़हर मिलाया है .