कुछ भी पूछिए,बस ये ना पूछिए
क्यों मरते हैं आप पर,ये सच ना पूछिए
हर शर्त आपकी है,हर हद भी आपकी
मिलने की ज़िद भी आपकी,न मिलने की भी आपकी
क्यों मंज़ूर है हर बात आपकी ना पूछिए
कुछ भी पूछिए,बस ये ना पूछिए
क्यों मरते हैं आप पर ,ये सच न पूछिए बार -बार धोखा हम पाते रहें तो क्या
हर रोज नया जख्म खाते रहें तो क्या
हमारी बर्दाश्त-ए-हद ना पूछिए
कुछ भी पूछिए,बस ये ना पूछिए
क्यों मरते हैं आप पर,ये सच न पूछिए यूं भी नहीं,दुनिया में कोई भी नहीं
लेकिन बगैर आपके ज़िन्दगी,ज़िन्दगी नहीं
क्यों जीने के लिए है आपकी जरूरत ना पूछिए
कुछ भी पूछिए,बस ये ना पूछिए
क्यों मरते हैं आप पर,ये सच न पूछिए
क्यों मरते हैं आप पर,ये सच ना पूछिए
हर शर्त आपकी है,हर हद भी आपकी
मिलने की ज़िद भी आपकी,न मिलने की भी आपकी
क्यों मंज़ूर है हर बात आपकी ना पूछिए
कुछ भी पूछिए,बस ये ना पूछिए
क्यों मरते हैं आप पर ,ये सच न पूछिए बार -बार धोखा हम पाते रहें तो क्या
हर रोज नया जख्म खाते रहें तो क्या
हमारी बर्दाश्त-ए-हद ना पूछिए
कुछ भी पूछिए,बस ये ना पूछिए
क्यों मरते हैं आप पर,ये सच न पूछिए यूं भी नहीं,दुनिया में कोई भी नहीं
लेकिन बगैर आपके ज़िन्दगी,ज़िन्दगी नहीं
क्यों जीने के लिए है आपकी जरूरत ना पूछिए
कुछ भी पूछिए,बस ये ना पूछिए
क्यों मरते हैं आप पर,ये सच न पूछिए