Wednesday, January 25, 2012

क्यों मरते हैं आप पर,ये सच न पूछिए ?

कुछ भी पूछिए,बस ये ना पूछिए
क्यों मरते हैं आप पर,ये सच ना पूछिए
हर शर्त आपकी है,हर हद भी आपकी
मिलने की ज़िद भी आपकी,न मिलने की भी आपकी
क्यों मंज़ूर है हर बात आपकी  ना पूछिए
कुछ भी पूछिए,बस ये ना पूछिए
क्यों मरते हैं आप पर ,ये सच न पूछिए बार -बार धोखा हम पाते  रहें तो क्या
हर रोज नया जख्म खाते रहें तो क्या
हमारी बर्दाश्त-ए-हद ना पूछिए
कुछ भी पूछिए,बस ये ना पूछिए
क्यों मरते हैं आप पर,ये सच न पूछिए यूं भी नहीं,दुनिया में कोई भी नहीं
लेकिन बगैर आपके ज़िन्दगी,ज़िन्दगी नहीं
क्यों जीने के लिए है आपकी जरूरत ना पूछिए
कुछ भी पूछिए,बस ये ना पूछिए
क्यों मरते हैं आप पर,ये  सच न पूछिए

ना पूछिए !

अब हर दुशवारी को मुस्करा के झेलते हैं हम  ना पूछिए राहे-ए-इश्क़ में क्या-क्या देखते हैं हम
तकते  रहे हम राह,मगर तुम नहीं आये
बैठे हैं राह में, पलकें बिछाए 
तुम्हारे ना आने की ज़िद देखते हैं हम 
अपने भी इंतजार की हद देखते हैं हम 
ना पूछिए राहे-ए-इश्क में क्या-क्या देखते हैं हम
ये वक़्त,जो आज तक किसी के लिए नहीं रुका 
खुदा के सिवा जो शख्स किसी के आगे नहीं झुका

उसी को आज तेरे सजदे में देखते हैं हम
कब तक ना करोगे क़ुबूल दुआ देखते हैं हम
ना पूछिए राहे-ए-इश्क़ में क्या-क्या देखते हैं हम.

Saturday, January 21, 2012

कैसे जियूं बगैर तेरे अब तू ही बता ?

कुछ है ही कहाँ पास मेरे एक तेरे सिवा
कैसे जियूं बगैर तेरे अब तू ही बता
तूने तो हँस के कह दिया मिलते हैं-मिलते हैं
अपना तो वक़्त रुक गया बस उसी जगह
कैसे जियूं बगैर तेरे अब तू ही बता



Friday, January 20, 2012

कौन कहता है दर्द नहीं होता

कौन कहता है दर्द नहीं होता
दर्द होता है
तीखा,तेज़  नश्तर की तरह
जब अनजान लोगों में आप किसी अपने को तलाशते हैं
और लाख चाहने पर भी,कोई अपना नहीं मिलता
तब दर्द होता है
कौन कहता है दर्द नहीं होता
दर्द होता है
तीखा ,तेज़ नश्तर की तरह
जब कोई आपको आस बंधाता है ,अपनेपन का एहसास दिलाता है
और सारे एहसास के बंधन एक झटके में तोड़ देता है
तब दर्द होता है
कौन कहता है दर्द नहीं होता
दर्द होता है,
तीखा ,तेज़  नश्तर की तरह
जब आंसू आँख में ही रुक जाये
और दर्द भरी आह भीतर ही भीतर दब जाये
तब दर्द होता है
कौन कहता है दर्द नहीं होता
दर्द होता है,
तीखा ,तेज़  नश्तर की तरह जब किसी के आने के वादे पर ,उसका इंतज़ार करें
और वो अपना वादा ही भूल जाये
तब दर्द होता है
कौन कहता है दर्द नहीं होता
दर्द होता है,
तीखा ,तेज़  नश्तर की तरह

Wednesday, January 18, 2012

मैं तुम्हारा हाथ थामें चल रही हूँ

अनजान ,अँधेरे ,उलझे रास्तों पर
मैं तुम्हारा  हाथ थामें चल रही हूँ
पूछती है दुनिया मुझसे पहचान मेरी
मुस्करा कर मन  में  तुमको देखती हूँ
छुपा लेती हूँ मुस्कराहट में अपना जवाब
और बढ़ जाती हूँ हर बंधन तोड़ कर
हाँ,
मैं तुम्हारा नाम थामें चल रही हूँ
मैं तुम्हारा हाथ थामें चल रही हूँ
बंद कर रही है दुनिया दरवाज़े सभी
लगता है कोई अब साथ आएगा नहीं
चल पड़ी हूँ तन्हा मैं तुम्हारे  लिए
कोई मुझको रोक पायेगा नहीं
हाँ,
मैं तुम्हारा  विश्वास थामें चल रही हूँ
मैं तुम्हारा हाथ थामे चल रही हूँ
मेरे हर रंग में ,हर रूप में
तुम हो बस तुम हो और कुछ नहीं
अब ना कोई चाह,ना है आरज़ू
कुछ भी छूटने का कोई डर नहीं
हाँ,

मैं  तुम्हारा साथ थामें चल रही हूँ
अनजान ,अँधेरे ,उलझे  रास्तों पर
मैं तुम्हारा हाथ थामें चल रही हूँ 

Friday, January 13, 2012

खुद से ही रूठने का मन है

आज ख़ुद से ही रूठने का मन है
बेतरतीब टूट कर बिखरने का मन है
मैं सोचती हूँ तेरी बात भी रख लूं
कर दूं आजाद तुझे,ख़ुद को भी रिहा कर दूं
पंख टूटे ही सही,पर इनसे ही उड़ने का मन है
बेतरतीब टूट कर बिखरने का मन है
मुझे मालूम है दिल मेरा उलझ जायेगा
तेरी तरफदारी में,मुझसे ही अड़ जायेगा
मेरा भी आज अपने दिल से लड़ने का मन है
बेतरतीब टूट कर बिखरने का मन है .

Thursday, January 12, 2012

तू करीब रहा

ना था पास मेरे,तब भी तू करीब रहा
अपने प्यार का किस्सा बड़ा अजीब रहा
उसकी, ना मिलने की ज़िद तड़पाती तो थी
कई शक ,कई इल्ज़ाम लगाती तो थी
पर जब वो सामने आया,कोई शिकवा ना रहा
अपने प्यार का किस्सा बड़ा अजीब रहा