Wednesday, January 18, 2012

मैं तुम्हारा हाथ थामें चल रही हूँ

अनजान ,अँधेरे ,उलझे रास्तों पर
मैं तुम्हारा  हाथ थामें चल रही हूँ
पूछती है दुनिया मुझसे पहचान मेरी
मुस्करा कर मन  में  तुमको देखती हूँ
छुपा लेती हूँ मुस्कराहट में अपना जवाब
और बढ़ जाती हूँ हर बंधन तोड़ कर
हाँ,
मैं तुम्हारा नाम थामें चल रही हूँ
मैं तुम्हारा हाथ थामें चल रही हूँ
बंद कर रही है दुनिया दरवाज़े सभी
लगता है कोई अब साथ आएगा नहीं
चल पड़ी हूँ तन्हा मैं तुम्हारे  लिए
कोई मुझको रोक पायेगा नहीं
हाँ,
मैं तुम्हारा  विश्वास थामें चल रही हूँ
मैं तुम्हारा हाथ थामे चल रही हूँ
मेरे हर रंग में ,हर रूप में
तुम हो बस तुम हो और कुछ नहीं
अब ना कोई चाह,ना है आरज़ू
कुछ भी छूटने का कोई डर नहीं
हाँ,

मैं  तुम्हारा साथ थामें चल रही हूँ
अनजान ,अँधेरे ,उलझे  रास्तों पर
मैं तुम्हारा हाथ थामें चल रही हूँ