Friday, December 9, 2011

मेरी नींद रूठ गयी है

मत पूछिए क्यों मेरी नींद रूठ गयी है
मेरी दुनिया में तेरी कोई चीज़  छूट गयी है
मेरे  आईने में अब अक्स तेरा है,बस तेरा 
मेरे चेहरे पर तेरी नज़र छूट गई है
सिरहन सी उठ रही है मेरी रूह तक में
मेरे हाथों पर तेरी छुअन छूट गयी है
तेरे लहज़े का ताब पिघला रहा था मुझे
मेरे जहन में तेरी अगन छूट गयी है
दिन गुज़रते रहे हैं,गुज़रते रहेंगे
मेरी ज़िन्दगी में तेरी लगन छूट गयी है
मत पूछिए क्यों मेरी नींद रूठ गयी है
मेरी दुनिया में तेरी कोई चीज़ छूट गयी है

तू ही बता

उसने कभी मुझे कोई हक़ नहीं दिया
मैं कैसे रोक लेता उसे ,अब तू ही बता
चाहत का कोई तोल-मोल कहाँ है
वो कितना मेरा है मैं कैसे दूं बता
दुनिया समझ रही है मैं उसका राजदार हूँ
... मैं दुश्मनों में भी नहीं, ये इनको क्या पता
मर जाऊंगा एक दिन मैं यूं ही मेरे यार
गर दुनिया पूछती रही,मुझसे उसका पता
मैं जानता हूँ लुट रहा हूँ उम्रभर के लिए
इस लुटने में क्या मज़ा है ये उसको क्या पता.