कौन कहता है दर्द नहीं होता
दर्द होता है
तीखा,तेज़ नश्तर की तरह
जब अनजान लोगों में आप किसी अपने को तलाशते हैं
और लाख चाहने पर भी,कोई अपना नहीं मिलता
तब दर्द होता है
कौन कहता है दर्द नहीं होता
दर्द होता है
तीखा ,तेज़ नश्तर की तरह
जब कोई आपको आस बंधाता है ,अपनेपन का एहसास दिलाता है
और सारे एहसास के बंधन एक झटके में तोड़ देता है
तब दर्द होता है
कौन कहता है दर्द नहीं होता
दर्द होता है,
तीखा ,तेज़ नश्तर की तरह
जब आंसू आँख में ही रुक जाये
और दर्द भरी आह भीतर ही भीतर दब जाये
तब दर्द होता है
कौन कहता है दर्द नहीं होता
दर्द होता है,
तीखा ,तेज़ नश्तर की तरह जब किसी के आने के वादे पर ,उसका इंतज़ार करें
और वो अपना वादा ही भूल जाये
तब दर्द होता है
कौन कहता है दर्द नहीं होता
दर्द होता है,
तीखा ,तेज़ नश्तर की तरह
दर्द होता है
तीखा,तेज़ नश्तर की तरह
जब अनजान लोगों में आप किसी अपने को तलाशते हैं
और लाख चाहने पर भी,कोई अपना नहीं मिलता
तब दर्द होता है
कौन कहता है दर्द नहीं होता
दर्द होता है
तीखा ,तेज़ नश्तर की तरह
जब कोई आपको आस बंधाता है ,अपनेपन का एहसास दिलाता है
और सारे एहसास के बंधन एक झटके में तोड़ देता है
तब दर्द होता है
कौन कहता है दर्द नहीं होता
दर्द होता है,
तीखा ,तेज़ नश्तर की तरह
जब आंसू आँख में ही रुक जाये
और दर्द भरी आह भीतर ही भीतर दब जाये
तब दर्द होता है
कौन कहता है दर्द नहीं होता
दर्द होता है,
तीखा ,तेज़ नश्तर की तरह जब किसी के आने के वादे पर ,उसका इंतज़ार करें
और वो अपना वादा ही भूल जाये
तब दर्द होता है
कौन कहता है दर्द नहीं होता
दर्द होता है,
तीखा ,तेज़ नश्तर की तरह