Monday, December 3, 2012

आजकल रातभर जागती हूँ
और सोचता हूँ मैं ,कि
तेरी बेरुख़ी,तेरा बेगानापन,तेरी जुदाई
मेरी किस ग़लती की सज़ा होगी
शायद बेंतेहा प्यार की या मेरी वफ़ा की
मेरे विश्वास की या मेरे समर्पण की
या इस हिम्मत की,कि मैंने भी कोई ख़्वाब देखा
आजकल रातभर जागती हूँ
और सोचती हूँ मैं.

Saturday, December 1, 2012

अनजान,अँधेरे,उलझे रास्तों पर
मैं ख़ुद अपना हाथ थामें चल रही हूँ
पूछती हैं कई नज़रें सवाल कई,
मुस्कुराकर तीर सारे झेलती हूँ
मेरे वज़ूद की टूटन कोई पहचान ना ले
इसलिए दुनिया में घुलमिल रही हूँ 
हार कर भी जीत का दम भर रही हूँ
मैं ख़ुद अपना हाथ थामें चल रही हूँ .
 

Thursday, November 22, 2012

ओ मेरे साहिब

जैसी कहेगा तू मेरे साहिब,वैसी मैं बन जाऊँगी
ओ मेरे रंगरेज़,मैं तेरे रंगों में  रंग जाऊँगी
जीवन की हर राह पे मैं,चुप,संग-संग तेरे आऊँगी
जिधर कहेगा चलती रहूंगी,जहाँ कहे रुक जाऊँगी
सारे दर्द मैं तेरे सह लूंगी,मुस्कान तेरी बन जाऊँगी
तेरे अपनों,तेरे ख्वाबों को,पलकों पर बैठाऊँगी 
हर बात मैं तेरी मानूंगी,बस ये सह ना पाऊँगी
तुझमें मेरी जान बसी हैं,तुझ बिन मैं मर जाऊँगी

Tuesday, November 20, 2012

मेरा ख़ुदा है तू ,तू ही मेरा रसूल है
तेरे  बगैर क्या मेरा वज़ूद है
ज़िंदा हूँ जो मैं,तेरी रहमतें हैं ये
तेरे हाथों से तो मरना भी क़ुबूल है

एक उम्मीद उम्र भर का नासूर बन गयी  
अब हर चाह से डर लगता है .

Thursday, October 25, 2012

मैं ये नहीं कहता हूँ कि तेरा कुसूर था
पर तेरा हाथ भी इसमे जुरूर था
मैं वो ना रह सका जो कभी पहचान थी मेरी
जिस जिंदादिली के लिए कभी मैं मशहूर था 
वो बड़े इत्मीनान से  समझा रहा था
ज़िन्दगी से प्यार करो मुझसे नहीं
आने वाले कल 
बहुत तकलीफ हुई
इस बात से नहीं कि वो  साथ ना दे सका
बल्कि इस बात से कि
वो रिश्ते की गहराई में कभी गया ही नहीं
मेरे दोस्त ज़िन्दगी कभी किसी के एवज़ में नहीं चलती
जो जगह जहाँ जिसकी होती है
वो ताउम्र उसी की रहती है
काश ! तुम ये बात समझ पाते





Tuesday, September 11, 2012

यूं तो हमेशा से ज़िन्दगी से जंग  ज़ारी है
कितनी बार गिरा ,उठा और फिर संभला हूँ मैं
पर जाने क्यों इस बार
ज़िन्दगी हरा रही है मुझे
मैं हारना नहीं चाहता,
पर जाने क्यों ऐसा  लगता है........
इस बार हार जाऊंगा
और सब ख़त्म हो जायेगा
हाँ मैं भी.....................

Saturday, August 11, 2012

मेरे प्यार को हमेशा,दुनिया के तराजू से तौलता है
जैसे मेरा हमसफ़र नहीं है ,सौदागर है कोई

Wednesday, June 20, 2012

हम

मेरे सामने उसने  दो ही रास्ते छोड़े थे
या तो मैं उससे  दूर हो जाऊं या खुद से
उससे जुदा होकर मैं जी नहीं सकती
बगैर सांस के भी भला कोई जीता है
वो  मुझमें ,मेरे साथ रहे
इसलिए
मैं खुद से दूर हो रही हूँ .
उस वक़्त के इंतजार में
जब हम ,हम होंगे
ना कोई मैं होगा ,ना तुम 


Sunday, May 27, 2012

सारी दुनिया से लड़ सकता हूँ ,
पर
तेरी  यादों ने मुझे मारा है
मेरी हिम्मत को भी शायद
बस तेरे ख्याल का ही सहारा है

Monday, April 30, 2012

वो रिश्तों में ज़ाइक की बात करता था
मेरा वजूद मुझसे इत्तेफाक रखता था
उसके बाद किसी रिश्ते की गुंजाइश न रही
और वो था कि जाइके  हज़ार रखता था

Saturday, April 28, 2012

कभी कभी सोचता हूँ

कभी कभी सोचता हूँ
काश!
मुझे चेहरे पढ़ना नहीं आता तो कितना अच्छा होता
तो कम से कम
अपनापन ओढ़े हुए
उन अपनों की सच्चाई से तो बच जाता
जो हर पल साथ होने की हामी भरते हैं
और नक़ल भी करते हैं
पर उनकी आँखों से झांकता हुआ सच
बार-बार मुस्कुरा कर कहता है
कि
देखा मैंने तुम्हें एक बार और इस्तेमाल कर लिया
और मैं रिश्तों के टूटने
और खोने के डर से
फिर चुप हो जाता हूँ
पर इस रूह का क्या करूं
जो हर पल इस छल से ख़त्म हो रही है
काश !
मुझे चेहरे पढ़ना नहीं आता तो कितना अच्छा होता

Wednesday, April 4, 2012

तुम ही तो हो ..................

मेरी गलतियों पर भी,मुझे गले लगा लेना
मेरे आंसुओं को,अपनी हथेलियों में छुपा लेना
मेरी सिसकियों को,अपने सीने से लगा लेना
मेरे जिद में रूठने पर भी,मुझको मना लेना
मेरी शिकायतों  पर,मुस्करा कर मेरा माथा चूम लेना
मुझे बाँहों में भर कर ,हर सवाल का जवाब देना
मेरे सिर को सहला कर,हर बात समझा देना
मेरी हर बुराई को,अपनी अच्छाई से मिटा देना
सच
तुम जैसा अपना,कोई मिला ही नहीं मुझको

Tuesday, April 3, 2012

जरूरत

वो बार बार पूछता था
कि तेरे मिजाज़ से मेरा   मिजाज़ क्यों नहीं मिलता ?
कैसे कटेगा सफ़र ज़िन्दगी का अगर
मेरे ख्याल से तेरा ख्याल नहीं मिलता
लेकिन मेरी जान
तुझे खबर ही नहीं
जिस दिन  मैं तेरी जैसी हो गयी
अपना रिश्ता दफ़न हो जायेगा .

Monday, April 2, 2012

न बस का था तेरे कि तू मेरी उम्मीद रख पाता
कितना गलत था मैं,काश ये पहले समझा पाता

Tuesday, March 20, 2012

प्रेम

यूं तो प्रेम में आत्मसम्मान की कोई जगह नहीं होती
वहां तो सिर्फ प्रेम ही प्रेम  है,

पर किसी के जीवन में अवांछित सा पड़े रहना भी ठीक नहीं
इसलिए मैनें अपने कुछ दायरे बना लिए हैं ,
मैं ये तो नहीं कहूँगी कि मैं खुश हूँ
पर हाँ ,अब मेरा हंसना और रोना
किसी की अपेक्षा या उपेक्षा की राह नहीं तकता .
 

Saturday, March 3, 2012

काश !

तुमने चाहा नहीं हालात बदल सकते थे
ये आंसू खुशियों में बदल सकते थे
तुम ठहरे रहे झील के पानी की तरह
दरिया बनते तो कहीं  दूर निकल सकते थे
वो ख़्वाब जो साथ हमने देखे थे
तुम्हारे हौंसलों से हकीक़त में बदल सकते थे
मैं बेदम हूँ तुम्हारे बगैर,पता है तुम्हें
साथ आते तो हम हर डर से निपट सकते थे 

Wednesday, February 29, 2012

इंदौर ,तुम बहुत याद आये

आज तुम बहुत याद आये
जब किसी की बातों ने मन दुखाया
और सिर पर
किसी मजबूत स्पर्श की जरूरत महसूस हुई
तुम बहुत याद आये 
जब आँखों से बहते आँसुओं को
किसी के आगोश में छुपा देने का मन हुआ
तुम बहुत याद आये
जब बुखार से तपते माथे पर
किसी प्यार भरी छुअन की कमी महसूस हुई
तुम बहुत याद आये
जब अकेलापन सताने लगा तो
तुम्हारे वो रास्ते ,वो पेड़ -पौधे,वो हवा
तुम्हारे दिए हुए वो साथी,वो हमदर्द 
जिन्होंने कभी मुझे तनहा नहीं छोड़ा 
सब  बहुत याद आये 
सच
आज तुम बहुत याद आये

Saturday, February 25, 2012

तू जवाब दे .......

क्यों मैं तुझसे कोई उम्मीद ना रखूँ ?
मुझको इस सवाल का जवाब दे 
उमर भर का साथ भी चाहिए 
हर रिश्ता,हर अधिकार भी चाहिए
पर,क्यों मैं तुझसे कोई आस ना रखूँ ?
मुझको इस सवाल का जवाब दे
मेरी  चाहतों पर हक तेरा हो 
तेरी  चाहतों पर हक मेरा हो 
यही फैसला लिया था हमने जब 
क्यों मैं तुझसे कोई चाह ना रखूँ ?
मुझको इस सवाल का जवाब दे 
मैं ज़िन्दगी की ज़रूरत हूँ तेरी 
तू भी मेरी दुनिया जहान है 
फिर क्यों मैं तेरा कोई ख़्वाब ना रखूँ ?
मुझको इस सवाल का जवाब दे
                                 रचना गंगवार

Friday, February 24, 2012

आज फ़िर

याद कर तुझको भुलाया आज फ़िर
हमने दिल को आज़माया आज फ़िर
तुझे  देखने की तमन्ना लिए
अश्क़ आँखों ने बहाए आज फ़िर
तेरी बातें,तेरा ख्याल, तेरी चाहतें
और कुछ ना याद आया आज फ़िर
बाद मुद्दत के सुनी आवाज़ तेरी
शहद कानों में घुला है आज फ़िर
फ़िर तुझसे जीतने की कोशिश में
तेरी यादों ने हराया आज फ़िर
इस क़दर तेरी कमी महसूस की
हर पल तुझको पुकारा आज फ़िर
अनजाना शहर,अनजाने लोग,अनजानी हवा
लेकिन हर दम तुझे साथ पाया आज फ़िर
याद कर तुझको भुलाया आज फ़िर
अपने दिल को आज़माया आज फ़िर
                                      रचना गंगवार


Thursday, February 23, 2012

कब तक

भीड़ में तनहा ऐ दिल कब तक चलेगा
जाने कब तक ये अकेलापन खलेगा
मैं तेरी उम्मीदों में एक उम्मीद हूँ 
और मेरी तो बस तू ही,एक उम्मीद है
चाहतों का ये फर्क जाने कब मिटेगा
जाने कब तक ये अकेलापन खलेगा
 तेरे लिए हर रिश्ता,है एक दिल्लगी 
मेरे तो हर रिश्ते में मेरी जान है
सोच का ये फासला  कब घटेगा
जाने कब तक ये अकेलापन खलेगा
                                      रचना गंगवार 




Friday, February 10, 2012

जब भी सोचती हूँ कुछ जवाब नहीं मिलता
तेरे लिए चाहतों का हिसाब नहीं मिलता



Tuesday, February 7, 2012

काश !

मेरे हर सवाल पर,तुम्हारा बस एक जवाब था
कि मैंने हर दस्तूर निभाया है मोहब्बत का
पर मेरी जान,
इन दस्तूरों के सिवा मोहब्बत कुछ और भी है
काश!
तुम ये समझ पाते.................

Wednesday, January 25, 2012

क्यों मरते हैं आप पर,ये सच न पूछिए ?

कुछ भी पूछिए,बस ये ना पूछिए
क्यों मरते हैं आप पर,ये सच ना पूछिए
हर शर्त आपकी है,हर हद भी आपकी
मिलने की ज़िद भी आपकी,न मिलने की भी आपकी
क्यों मंज़ूर है हर बात आपकी  ना पूछिए
कुछ भी पूछिए,बस ये ना पूछिए
क्यों मरते हैं आप पर ,ये सच न पूछिए बार -बार धोखा हम पाते  रहें तो क्या
हर रोज नया जख्म खाते रहें तो क्या
हमारी बर्दाश्त-ए-हद ना पूछिए
कुछ भी पूछिए,बस ये ना पूछिए
क्यों मरते हैं आप पर,ये सच न पूछिए यूं भी नहीं,दुनिया में कोई भी नहीं
लेकिन बगैर आपके ज़िन्दगी,ज़िन्दगी नहीं
क्यों जीने के लिए है आपकी जरूरत ना पूछिए
कुछ भी पूछिए,बस ये ना पूछिए
क्यों मरते हैं आप पर,ये  सच न पूछिए

ना पूछिए !

अब हर दुशवारी को मुस्करा के झेलते हैं हम  ना पूछिए राहे-ए-इश्क़ में क्या-क्या देखते हैं हम
तकते  रहे हम राह,मगर तुम नहीं आये
बैठे हैं राह में, पलकें बिछाए 
तुम्हारे ना आने की ज़िद देखते हैं हम 
अपने भी इंतजार की हद देखते हैं हम 
ना पूछिए राहे-ए-इश्क में क्या-क्या देखते हैं हम
ये वक़्त,जो आज तक किसी के लिए नहीं रुका 
खुदा के सिवा जो शख्स किसी के आगे नहीं झुका

उसी को आज तेरे सजदे में देखते हैं हम
कब तक ना करोगे क़ुबूल दुआ देखते हैं हम
ना पूछिए राहे-ए-इश्क़ में क्या-क्या देखते हैं हम.

Saturday, January 21, 2012

कैसे जियूं बगैर तेरे अब तू ही बता ?

कुछ है ही कहाँ पास मेरे एक तेरे सिवा
कैसे जियूं बगैर तेरे अब तू ही बता
तूने तो हँस के कह दिया मिलते हैं-मिलते हैं
अपना तो वक़्त रुक गया बस उसी जगह
कैसे जियूं बगैर तेरे अब तू ही बता



Friday, January 20, 2012

कौन कहता है दर्द नहीं होता

कौन कहता है दर्द नहीं होता
दर्द होता है
तीखा,तेज़  नश्तर की तरह
जब अनजान लोगों में आप किसी अपने को तलाशते हैं
और लाख चाहने पर भी,कोई अपना नहीं मिलता
तब दर्द होता है
कौन कहता है दर्द नहीं होता
दर्द होता है
तीखा ,तेज़ नश्तर की तरह
जब कोई आपको आस बंधाता है ,अपनेपन का एहसास दिलाता है
और सारे एहसास के बंधन एक झटके में तोड़ देता है
तब दर्द होता है
कौन कहता है दर्द नहीं होता
दर्द होता है,
तीखा ,तेज़  नश्तर की तरह
जब आंसू आँख में ही रुक जाये
और दर्द भरी आह भीतर ही भीतर दब जाये
तब दर्द होता है
कौन कहता है दर्द नहीं होता
दर्द होता है,
तीखा ,तेज़  नश्तर की तरह जब किसी के आने के वादे पर ,उसका इंतज़ार करें
और वो अपना वादा ही भूल जाये
तब दर्द होता है
कौन कहता है दर्द नहीं होता
दर्द होता है,
तीखा ,तेज़  नश्तर की तरह

Wednesday, January 18, 2012

मैं तुम्हारा हाथ थामें चल रही हूँ

अनजान ,अँधेरे ,उलझे रास्तों पर
मैं तुम्हारा  हाथ थामें चल रही हूँ
पूछती है दुनिया मुझसे पहचान मेरी
मुस्करा कर मन  में  तुमको देखती हूँ
छुपा लेती हूँ मुस्कराहट में अपना जवाब
और बढ़ जाती हूँ हर बंधन तोड़ कर
हाँ,
मैं तुम्हारा नाम थामें चल रही हूँ
मैं तुम्हारा हाथ थामें चल रही हूँ
बंद कर रही है दुनिया दरवाज़े सभी
लगता है कोई अब साथ आएगा नहीं
चल पड़ी हूँ तन्हा मैं तुम्हारे  लिए
कोई मुझको रोक पायेगा नहीं
हाँ,
मैं तुम्हारा  विश्वास थामें चल रही हूँ
मैं तुम्हारा हाथ थामे चल रही हूँ
मेरे हर रंग में ,हर रूप में
तुम हो बस तुम हो और कुछ नहीं
अब ना कोई चाह,ना है आरज़ू
कुछ भी छूटने का कोई डर नहीं
हाँ,

मैं  तुम्हारा साथ थामें चल रही हूँ
अनजान ,अँधेरे ,उलझे  रास्तों पर
मैं तुम्हारा हाथ थामें चल रही हूँ 

Friday, January 13, 2012

खुद से ही रूठने का मन है

आज ख़ुद से ही रूठने का मन है
बेतरतीब टूट कर बिखरने का मन है
मैं सोचती हूँ तेरी बात भी रख लूं
कर दूं आजाद तुझे,ख़ुद को भी रिहा कर दूं
पंख टूटे ही सही,पर इनसे ही उड़ने का मन है
बेतरतीब टूट कर बिखरने का मन है
मुझे मालूम है दिल मेरा उलझ जायेगा
तेरी तरफदारी में,मुझसे ही अड़ जायेगा
मेरा भी आज अपने दिल से लड़ने का मन है
बेतरतीब टूट कर बिखरने का मन है .

Thursday, January 12, 2012

तू करीब रहा

ना था पास मेरे,तब भी तू करीब रहा
अपने प्यार का किस्सा बड़ा अजीब रहा
उसकी, ना मिलने की ज़िद तड़पाती तो थी
कई शक ,कई इल्ज़ाम लगाती तो थी
पर जब वो सामने आया,कोई शिकवा ना रहा
अपने प्यार का किस्सा बड़ा अजीब रहा