अब हर दुशवारी को मुस्करा के झेलते हैं हम ना पूछिए राहे-ए-इश्क़ में क्या-क्या देखते हैं हम
तकते रहे हम राह,मगर तुम नहीं आये
बैठे हैं राह में, पलकें बिछाए
तुम्हारे ना आने की ज़िद देखते हैं हम
अपने भी इंतजार की हद देखते हैं हम
ना पूछिए राहे-ए-इश्क में क्या-क्या देखते हैं हम
ये वक़्त,जो आज तक किसी के लिए नहीं रुका
खुदा के सिवा जो शख्स किसी के आगे नहीं झुका
उसी को आज तेरे सजदे में देखते हैं हम
कब तक ना करोगे क़ुबूल दुआ देखते हैं हम
ना पूछिए राहे-ए-इश्क़ में क्या-क्या देखते हैं हम.
तकते रहे हम राह,मगर तुम नहीं आये
बैठे हैं राह में, पलकें बिछाए
तुम्हारे ना आने की ज़िद देखते हैं हम
अपने भी इंतजार की हद देखते हैं हम
ना पूछिए राहे-ए-इश्क में क्या-क्या देखते हैं हम
ये वक़्त,जो आज तक किसी के लिए नहीं रुका
खुदा के सिवा जो शख्स किसी के आगे नहीं झुका
उसी को आज तेरे सजदे में देखते हैं हम
कब तक ना करोगे क़ुबूल दुआ देखते हैं हम
ना पूछिए राहे-ए-इश्क़ में क्या-क्या देखते हैं हम.
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