Wednesday, March 9, 2011

यूं तो

यूं तो अकेलेपन से मुझे अब डर तो नहीं लगता 
पर ये सच है ,तेरा साथ हौसला बढाता है 
यूं तो मैं अपने दुःख में खुद को समझा लेती हूँ 
पर तेरे कंधे पर सिर रख कर ही दिल को सुकूं आता है 
यूं तो इस भीड़ में भी तन्हा ही होती हूँ मैं
बस तू ही है जो मेरे अक्स में मिल जाता है

तेरी नाराज़गी

तेरी नाराज़गी का सबब बनूँ चाह था कहाँ मैनें 
इतना अपना दुनिया में कोई मिला ही नहीं मुझको.
यूं तो ख़ामोश रह कर भी अपना ग़ुबार छुपा जाती 
तू नहीं दिखता तो  खुद रो कर चुप जाती 
दर्द बाँटनें की आदत पहले कहाँ थी मुझमें 
इतना अपना दुनिया में कोई मिला ही नहीं मुझको .