यूं तो हमेशा से ज़िन्दगी से जंग ज़ारी है
कितनी बार गिरा ,उठा और फिर संभला हूँ मैं
पर जाने क्यों इस बार
ज़िन्दगी हरा रही है मुझे
मैं हारना नहीं चाहता,
पर जाने क्यों ऐसा लगता है........
इस बार हार जाऊंगा
और सब ख़त्म हो जायेगा
हाँ मैं भी.....................
कितनी बार गिरा ,उठा और फिर संभला हूँ मैं
पर जाने क्यों इस बार
ज़िन्दगी हरा रही है मुझे
मैं हारना नहीं चाहता,
पर जाने क्यों ऐसा लगता है........
इस बार हार जाऊंगा
और सब ख़त्म हो जायेगा
हाँ मैं भी.....................