Monday, April 30, 2012

वो रिश्तों में ज़ाइक की बात करता था
मेरा वजूद मुझसे इत्तेफाक रखता था
उसके बाद किसी रिश्ते की गुंजाइश न रही
और वो था कि जाइके  हज़ार रखता था

Saturday, April 28, 2012

कभी कभी सोचता हूँ

कभी कभी सोचता हूँ
काश!
मुझे चेहरे पढ़ना नहीं आता तो कितना अच्छा होता
तो कम से कम
अपनापन ओढ़े हुए
उन अपनों की सच्चाई से तो बच जाता
जो हर पल साथ होने की हामी भरते हैं
और नक़ल भी करते हैं
पर उनकी आँखों से झांकता हुआ सच
बार-बार मुस्कुरा कर कहता है
कि
देखा मैंने तुम्हें एक बार और इस्तेमाल कर लिया
और मैं रिश्तों के टूटने
और खोने के डर से
फिर चुप हो जाता हूँ
पर इस रूह का क्या करूं
जो हर पल इस छल से ख़त्म हो रही है
काश !
मुझे चेहरे पढ़ना नहीं आता तो कितना अच्छा होता

Wednesday, April 4, 2012

तुम ही तो हो ..................

मेरी गलतियों पर भी,मुझे गले लगा लेना
मेरे आंसुओं को,अपनी हथेलियों में छुपा लेना
मेरी सिसकियों को,अपने सीने से लगा लेना
मेरे जिद में रूठने पर भी,मुझको मना लेना
मेरी शिकायतों  पर,मुस्करा कर मेरा माथा चूम लेना
मुझे बाँहों में भर कर ,हर सवाल का जवाब देना
मेरे सिर को सहला कर,हर बात समझा देना
मेरी हर बुराई को,अपनी अच्छाई से मिटा देना
सच
तुम जैसा अपना,कोई मिला ही नहीं मुझको

Tuesday, April 3, 2012

जरूरत

वो बार बार पूछता था
कि तेरे मिजाज़ से मेरा   मिजाज़ क्यों नहीं मिलता ?
कैसे कटेगा सफ़र ज़िन्दगी का अगर
मेरे ख्याल से तेरा ख्याल नहीं मिलता
लेकिन मेरी जान
तुझे खबर ही नहीं
जिस दिन  मैं तेरी जैसी हो गयी
अपना रिश्ता दफ़न हो जायेगा .

Monday, April 2, 2012

न बस का था तेरे कि तू मेरी उम्मीद रख पाता
कितना गलत था मैं,काश ये पहले समझा पाता