Thursday, November 22, 2012

ओ मेरे साहिब

जैसी कहेगा तू मेरे साहिब,वैसी मैं बन जाऊँगी
ओ मेरे रंगरेज़,मैं तेरे रंगों में  रंग जाऊँगी
जीवन की हर राह पे मैं,चुप,संग-संग तेरे आऊँगी
जिधर कहेगा चलती रहूंगी,जहाँ कहे रुक जाऊँगी
सारे दर्द मैं तेरे सह लूंगी,मुस्कान तेरी बन जाऊँगी
तेरे अपनों,तेरे ख्वाबों को,पलकों पर बैठाऊँगी 
हर बात मैं तेरी मानूंगी,बस ये सह ना पाऊँगी
तुझमें मेरी जान बसी हैं,तुझ बिन मैं मर जाऊँगी

Tuesday, November 20, 2012

मेरा ख़ुदा है तू ,तू ही मेरा रसूल है
तेरे  बगैर क्या मेरा वज़ूद है
ज़िंदा हूँ जो मैं,तेरी रहमतें हैं ये
तेरे हाथों से तो मरना भी क़ुबूल है

एक उम्मीद उम्र भर का नासूर बन गयी  
अब हर चाह से डर लगता है .