Wednesday, February 29, 2012

इंदौर ,तुम बहुत याद आये

आज तुम बहुत याद आये
जब किसी की बातों ने मन दुखाया
और सिर पर
किसी मजबूत स्पर्श की जरूरत महसूस हुई
तुम बहुत याद आये 
जब आँखों से बहते आँसुओं को
किसी के आगोश में छुपा देने का मन हुआ
तुम बहुत याद आये
जब बुखार से तपते माथे पर
किसी प्यार भरी छुअन की कमी महसूस हुई
तुम बहुत याद आये
जब अकेलापन सताने लगा तो
तुम्हारे वो रास्ते ,वो पेड़ -पौधे,वो हवा
तुम्हारे दिए हुए वो साथी,वो हमदर्द 
जिन्होंने कभी मुझे तनहा नहीं छोड़ा 
सब  बहुत याद आये 
सच
आज तुम बहुत याद आये

Saturday, February 25, 2012

तू जवाब दे .......

क्यों मैं तुझसे कोई उम्मीद ना रखूँ ?
मुझको इस सवाल का जवाब दे 
उमर भर का साथ भी चाहिए 
हर रिश्ता,हर अधिकार भी चाहिए
पर,क्यों मैं तुझसे कोई आस ना रखूँ ?
मुझको इस सवाल का जवाब दे
मेरी  चाहतों पर हक तेरा हो 
तेरी  चाहतों पर हक मेरा हो 
यही फैसला लिया था हमने जब 
क्यों मैं तुझसे कोई चाह ना रखूँ ?
मुझको इस सवाल का जवाब दे 
मैं ज़िन्दगी की ज़रूरत हूँ तेरी 
तू भी मेरी दुनिया जहान है 
फिर क्यों मैं तेरा कोई ख़्वाब ना रखूँ ?
मुझको इस सवाल का जवाब दे
                                 रचना गंगवार

Friday, February 24, 2012

आज फ़िर

याद कर तुझको भुलाया आज फ़िर
हमने दिल को आज़माया आज फ़िर
तुझे  देखने की तमन्ना लिए
अश्क़ आँखों ने बहाए आज फ़िर
तेरी बातें,तेरा ख्याल, तेरी चाहतें
और कुछ ना याद आया आज फ़िर
बाद मुद्दत के सुनी आवाज़ तेरी
शहद कानों में घुला है आज फ़िर
फ़िर तुझसे जीतने की कोशिश में
तेरी यादों ने हराया आज फ़िर
इस क़दर तेरी कमी महसूस की
हर पल तुझको पुकारा आज फ़िर
अनजाना शहर,अनजाने लोग,अनजानी हवा
लेकिन हर दम तुझे साथ पाया आज फ़िर
याद कर तुझको भुलाया आज फ़िर
अपने दिल को आज़माया आज फ़िर
                                      रचना गंगवार


Thursday, February 23, 2012

कब तक

भीड़ में तनहा ऐ दिल कब तक चलेगा
जाने कब तक ये अकेलापन खलेगा
मैं तेरी उम्मीदों में एक उम्मीद हूँ 
और मेरी तो बस तू ही,एक उम्मीद है
चाहतों का ये फर्क जाने कब मिटेगा
जाने कब तक ये अकेलापन खलेगा
 तेरे लिए हर रिश्ता,है एक दिल्लगी 
मेरे तो हर रिश्ते में मेरी जान है
सोच का ये फासला  कब घटेगा
जाने कब तक ये अकेलापन खलेगा
                                      रचना गंगवार 




Friday, February 10, 2012

जब भी सोचती हूँ कुछ जवाब नहीं मिलता
तेरे लिए चाहतों का हिसाब नहीं मिलता



Tuesday, February 7, 2012

काश !

मेरे हर सवाल पर,तुम्हारा बस एक जवाब था
कि मैंने हर दस्तूर निभाया है मोहब्बत का
पर मेरी जान,
इन दस्तूरों के सिवा मोहब्बत कुछ और भी है
काश!
तुम ये समझ पाते.................