उसने कभी मुझे कोई हक़ नहीं दिया
मैं कैसे रोक लेता उसे ,अब तू ही बता
चाहत का कोई तोल-मोल कहाँ है
वो कितना मेरा है मैं कैसे दूं बता
दुनिया समझ रही है मैं उसका राजदार हूँ
... मैं दुश्मनों में भी नहीं, ये इनको क्या पता
मर जाऊंगा एक दिन मैं यूं ही मेरे यार
गर दुनिया पूछती रही,मुझसे उसका पता
मैं जानता हूँ लुट रहा हूँ उम्रभर के लिए
इस लुटने में क्या मज़ा है ये उसको क्या पता.
ReplyDeleteदिनांक 03/02/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
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फिर मुझे धोखा मिला, मैं क्या कहूँ........हलचल का रविवारीय विशेषांक .....रचनाकार--गिरीश पंकज जी