अब भी मेरी नींद तेरे दरवाज़े पर आती तो होगी
बेतहाशा तुझे आवाज़ लगाती तो होगी
उसकी आहट से तेरी नींद भी खुलती होगी
जब वो तेरे महलों की खिड़की बजाती होगी
तू चादर तान के सोने का बहाना बनाता होगा
जब मेरा नाम तेरे कानों में गुनगुनाती होगी
तू भी करवट पर करवट बदलता होगा
जब मेरी नींद, तेरी नींद उड़ाती होगी
तू जब मेरी यादों से हार जाता होगा ,फिर
मेरी नींद ही तुझे लोरी दे के सुलाती होगी
बेतहाशा तुझे आवाज़ लगाती तो होगी
उसकी आहट से तेरी नींद भी खुलती होगी
जब वो तेरे महलों की खिड़की बजाती होगी
तू चादर तान के सोने का बहाना बनाता होगा
जब मेरा नाम तेरे कानों में गुनगुनाती होगी
तू भी करवट पर करवट बदलता होगा
जब मेरी नींद, तेरी नींद उड़ाती होगी
तू जब मेरी यादों से हार जाता होगा ,फिर
मेरी नींद ही तुझे लोरी दे के सुलाती होगी
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