Tuesday, October 4, 2011

मेरी नींद

अब भी मेरी नींद तेरे दरवाज़े पर आती तो होगी
बेतहाशा तुझे आवाज़ लगाती तो  होगी
उसकी आहट से तेरी नींद भी खुलती होगी
जब वो तेरे महलों की खिड़की बजाती होगी
तू चादर तान के सोने का बहाना बनाता होगा
जब मेरा नाम तेरे कानों में गुनगुनाती होगी 
तू भी करवट पर करवट बदलता होगा
जब मेरी नींद, तेरी नींद  उड़ाती होगी
तू जब मेरी यादों से हार जाता होगा ,फिर
मेरी नींद ही तुझे लोरी दे के सुलाती होगी

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