Wednesday, March 19, 2025

पहले से हम और तुम नहीं हैं



अब पहले से हम और तुम नहीं हैं 

दोनों हैं लेकिन हम नहीं है 

बात शिकवे शिकायत की नहीं है 

रूठने और मनाने की नहीं है 

बात है तो उस ख़ुलूस की है, जो 

अब तेरी आँखों में नहीं है ।

राब्ते ख्वाहिशों पे पलते हैं 

बेवज़ह मिलने मिलाने से चलते हैं ,

बात मिलने ना मिलने की नहीं है,

अब ख़्वाहिशों में वो जज़्बे नहीं है ।

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