अब पहले से हम और तुम नहीं हैं
दोनों हैं लेकिन हम नहीं है
बात शिकवे शिकायत की नहीं है
रूठने और मनाने की नहीं है
बात है तो उस ख़ुलूस की है, जो
अब तेरी आँखों में नहीं है ।
राब्ते ख्वाहिशों पे पलते हैं
बेवज़ह मिलने मिलाने से चलते हैं ,
बात मिलने ना मिलने की नहीं है,
अब ख़्वाहिशों में वो जज़्बे नहीं है ।