जब किसी के प्यार के घर को जलाओगे तुम
ये बताओ क्या कभी चैन फिर पाओगे तुम
चाहते हो हर गुनाह माफ कर दूं मैं तुम्हारा
क्या मेरी एक भूल भी माफ कर पाओगे तुम
ये तुम्हारा हुक्म था,पलट कर न देखेगा कोई
क्या खबर थी पलट कर आवाज़ लगाओगे तुम
माना तुम्हारी आदत रही,जोड़ना और तोड़ना
पर अब मुझको कभी ना जोड़ पाओगे तुम
दिल में दर्द का दरिया गहरा,बहुत गहरा है
एक झलक भी दिखला दी तो डूब ही जाओगे तुम
जब किसी के प्यार के घर को जलाओगे तुम
ये बताओ क्या कभी चैन फिर पाओगे तुम
चाहते हो हर गुनाह माफ कर दूं मैं तुम्हारा
क्या मेरी एक भूल भी माफ कर पाओगे तुम
ये तुम्हारा हुक्म था,पलट कर न देखेगा कोई
क्या खबर थी पलट कर आवाज़ लगाओगे तुम
माना तुम्हारी आदत रही,जोड़ना और तोड़ना
पर अब मुझको कभी ना जोड़ पाओगे तुम
दिल में दर्द का दरिया गहरा,बहुत गहरा है
एक झलक भी दिखला दी तो डूब ही जाओगे तुम
जब किसी के प्यार के घर को जलाओगे तुम
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